राखी/भैया क्यों आये नहीं
प्रात काल उठते सुनी, जब कागा की बोल।
भैया आयेगें लगा, हृदय गया फिर डोल।१।
उड़ -उड़ कागा आंगना ,बहुत मचाया शोर।
सुन उसकी वाणी मगर, मन में उठे हिलोर।२।
लेकर राखी आ गई, झट जाकर बाजार।
दीप जलाकर आस की, बैठ गई मैं द्वार।३ ।
कुमकुम केसर का तिलक, रखी मिठाई थाल।
मुख मीठा कर भ्रातृ का, चमका दूँगी भाल।४ ।
सुबह से शाम हो गई, बीत गई फिर रात।
भैया तो आए नहीं, हुई नहीं कुछ बात।५।
विचलित मन करने लगा, मुझ से कई सवाल।
भैया क्यों आए नहीं, मन में रहा मलाल।६।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली