राखी प्रेम का बंधन
राखी प्रेम का बंधन है।
नही कोई गठबंधन है।
भाई – बहन के अटूट प्रेम का
पर्व यह रक्षा बंधन है।
जब जब बहनों पर विपदा आई।
जब जब बहनों ने आवाज लगाई।
बहनों के खातिर भाई ने,
अपने जान की है बाजी लगाई।
रानी कर्णावती और हुमायूँ।
द्रोपती और कृष्ण की गाथा।
रक्षा बंधन हमें याद दिलाता।
राखी प्रेम का बंधन है।
नही कोई गठबंधन है।
नहीं कोई दिखावा है।
चढ़ता नहीं चढ़ावा है।
कच्चे धागों से बंधा हुआ।
कितना सुन्दर, कितना प्यारा
भाई – बहन का नाता हमारा।
पीहर के बन्धन,
बाबुल की गलियाँ,
समय के फ़ासले,
यादों की तितलियाँ,
पसरी दूरियाँ, ख़ामोश मजबूरियाँ
नाज़ुक डोर के इस पल में
खुद ही सिमट जाती है।
जब जब राखी आती है।
कवि रविशंकर साह “बलसारा”