राखी का मोल🙏
राखी का मोल🙏
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राखी का कोई मोल नहीं
जग में येअनमोल हैं प्यारे
राखी है इक कच्चा धागा
रिस्तों का है पक्का चिठ्ठा
रेशम डोरी है अमोल प्यार
बहना का है अटूट विश्वास
मां पिता की है अभिलाषा
अटूट स्नेह दूजे की आशा
सूरज चांद सितारों सी
रिस्ते हो भाई बहनों की
राखी में ममता भाई का
कलाई है प्यार बहना का
नयनी तारा माँ पिता की
अमन आस है पुरखों की
बंध मुठ्ठी कलाई पर राखी
बहनों की छिपी गुप्तशक्ति
खुले हाथ कलाई की राखी
आर्शीवाद की स्वर्ण थाली
दोनों हैं कूदरत का तोहफ़ा
द्विनगीना हैं भारत मां का
इनमें ही जग संसार बसा
इन पर हीअभिमान टिका
किलकारी सेआँगन गूंजती
सुन सुन बातें माँ इठलाती
बचपन यादों से भर जाती
सूनी बगिया होती आबाद
मनाते रक्षा बंधन त्योहार
खिल खिलातीआँगन द्वार
जब मचाते कमाल धमाल
प्यार मोहब्बत सुखका द्वार
पर्व त्योहार सद्भावना भण्डार
मिल जुल हम त्योहार मनावें
मतभेद मिटा जन प्रेम जगावें
मातृभूमि का हम सब संतान
खून पसीना है सबका समान ।
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तारकेशवर प्रसाद तरूण