राखी का बंधन
आया-आया रक्षाबंधन
बहना लाई रोली चंदन
सब गांठों को देता है खोल
बंधन है इक ऐसा अनमोल
राखी लेकर आई बहना
इस प्यार का’ यारो क्या कहना
मन में रक्षा की ठानी है
सबको ये रीत निभानी है
अक्सर हम करते थे तकरार
याद रहेगा ऐसा भी प्यार
© अरशद रसूल