*राखी आई खुशियाँ आई*
राखी आई खुशियाँ आई
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राखी आई खुशियाँ आई,
आनंद से ऑंखें भर आई।
बहन भाई का प्यारा रिश्ता,
ऐसा प्रेम कहीं नहीं मिलता,
राखी ले कर बहना आई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
रेशम की डोरी का धागा,
सूनी कलाई पर आ बांधा,
नैनों की भौंहें खिल आई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
छोटे बड़े भाई का कहना,
राखी बांधों प्यारी बहना,
फूलों सी सूरत खिल आई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
कर्णावती पर संकट आया
हमायूँ को हाल भिजवाया,
राखी ने आन लाज बचाई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
सावन शाह महीना आया,
राखी पर्व मनोरम लाया,
मेघों ने आ बरखा बरसाई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
कच्चे धागे की है डोर नहीं,
दिखलावे का भी शोर नहीं,
मन मंदिर प्रसन्नता लाई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
चाँद तारों सी चमकीली,
मान मर्यादा भरी गर्वीली,
बहना को भाई घर लाई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
मनसीरत दे रक्षा का वादा,
प्यार कभी ना होगा आधा,
लाख शोभन शोभा बढ़ाई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
राखी आई खुशियाँ लाई।
आनंद से ऑंखें भर आई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)