राखडळी
सावण री आ पूनम आई,
राखड़ळी री खुशीयां लाई।
घणी हरख सूं, घणा चाव सूं,
बेनड़ ने नूत बुलाई॥
बेनड़ जद बारणे आई,
खुशीयां चहुं ओर छाई।
बीर ने देख नैण छलकाई,
बालपणे री यादा आई॥
घणा ठाठ सूं बाजोट लगायो,
उण पर बीरा ने बैठायो।
कंकू तिलक सू थाल सजायो,
प्रीत री घड़ीयां सूं, मन भर आयो॥
तिलक काढ़’र श्रीफल जिळायो,
राखड़ली सू हाथ सजायो।
पकवान सूं मुंडो, मीठो करायो,
आशीषा सूं बीर निवायो॥
बेनड़ म्हारी रहै सदा सौरी,
कदी नी आवै घड़ीयां दौरी।
रक्षा री आ पाती देऊं,
बात आ म सांची कैऊ ॥
सगळो देश मनावे ओ त्यौहार,
सगळा ने देवा आशीषा अर प्यार।
कदी ना आवै इण बीच म तौड़ी,
सदा रहे सलामत भाई बहन री जोड़ी॥
सगळा भायळा नै लक्की रा हदय सूं रक्षाबंधन री घणी घणी बधाईयाँ अरज हुवै सा।
थारो भायळो
लक्की सिंह चौहान