सैफई रहा केन्द्र
(1.) सैफई रहा केन्द्र
रहा इटावा सैफई, चर्चाओं का केन्द्र
नाचती सिने तारिका, नेता बने जितेन्द्र
नेता बने जितेन्द्र, लूट का माल लगाया
पाले बड़े दबंग, सैफई को चमकाया
महावीर कविराय, भाड़ में जनता जावा
सैफई रहा केन्द्र, चमकता रहा इटावा
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(2.) कभी कभार कठोर
रहे मुलायम वो सदा, कभी कभार कठोर
लोकतन्त्र में जब चला, समाजवादी ज़ोर
समाजवादी ज़ोर, चली भक्तों पे गोली
माई फैक्टर* खूब, खेलते आँख मिचौली
महावीर कविराय, बादशाही थी क़ायम
शासक भले कठोर, सदा वो रहे मुलायम
(3.) मुजफ्फर नगर काण्ड**
भूल नहीं पाए कभी, मुजफ्फर नगर काण्ड
शर्मसार था रामपुर, बने मुलायम भाण्ड
बने मुलायम भाण्ड, लुटी पहाड़ की इज़्ज़त
दो अक्टूबर रोज़, दु:शासन भी था बेज़्ज़त
महावीर कविराय, बददुआ ही लग जाए
नारी का अपमान, कभी भूल नहीं पाए
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*माई फैक्टर—मुस्लिम + यादव (M+Y) वोट बैंक
**रामपुर तिराहे (मुजफ्फर नगर) एक अक्टूबर की रात व दो अक्टूबर 1994 ई. का दिन मानवता को शर्मसार कर देने वाला था। मुख़्यमंत्री मुलायम के कुशासन का यह एक और अमानवीय चेहरा था। इससे पूर्व अयोध्या में निहत्थे रामभक्तों पर गोलियाँ चलवाकर उन्होंने अपने जरनल डायर होने का परिचय दिया था। आंदोलन को दिल्ली ले जाने के लिए एक अक्टूबर को पहाड़ों से जो चौबीस बसें आंदोलनकरियों को लेकर चली थीं उन्हें जबरन पहले रुड़की के नारसन बॉर्डर पर रोकने का प्रयास हुआ फिर भी जत्था आगे बढ़ गया तो सबको रामपुर तिराहे पर रोका और यूपी पुलिस की क्रूरता लाठीचार्ज; करीबन ढाई सौ आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया। इसी झड़प में पुलिस द्वारा महिलाओं के साथ छेड़खानी–रेप किया गया। कई सालों तक मुकदमा चला, मगर कोई मुआवजा और न्याय सताये गए आंदोलनकारियों को आज तक नहीं मिला।