रहा
जिनसे मिलके भी बे-क़रार रहा।
हमको उनका ही इंतज़ार रहा।
सोचता हूँ निगाह जब न मिलीं
कब निगाहों पे इख़्तियार रहा ।
आज तक ये समझ नहीं आया
जीत उसकी क्यूँ अपनी हार रहा।
सोगवारी गई न जीवन से
जाने किसका मैं कर्ज़दार रहा।
हम को इतना गिरा पड़ा न समझ
इश्क का मैं भी सायादार रहा।
तिश्नगी है शज़र के होंटों पर
गुल का सीना भी है फ़िगार रहा।
जिन के दामन में कुछ नहीं नीलम
उन के सीनों में सिर्फ प्यार रहा।
सोगवारी -शोक
तिश्नगी-लालसा
फ़िगार-ज़ख्मी
नीलम शर्मा ✍️