**** रहस्य *****
सुबह
कितनी
ताजा
हवा
आती है
शैशवावस्था
की
मुस्कान
की
तरह
दोपहर
के
गर्म
थपेड़े
झुलसाने
वाली
लू
जवानी
की
बेपरवा
गर्मजोशी
अल्हड़पन
सन्ध्या
थकान
विश्रांति
की
शून्य
अवस्था
वार्धक्य
की
याद
ताजा
कर
जाती
है
फिर
भी
इंसान
इस
जीवन
की
कीमत
न
समझकर
अपने ही
साथ
छलावा
क्यों
करता
है
यह
दिन
उगते
सूरज
के
साथ
चलता
है
फिर
ढलते
सूरज
के
साथ
थम
जाता
है
फिर
भी
इंसान
इस
रहस्य
को
क्यों
नहीं
समझ
पाता
है ।। ?मधुप बैरागी