रहमत
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मैंने इस जीवन में सबका होकर देख लिया अब सतगुरु केवल तेरा होना बाकी है …मैं अपना सांसारिक सब कुछ खो बैठा हूँ मेरे मालिक अब तेरे चरणों में अपने आपको खोना बाकी है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मैंने इस जीवन में सबसे मिल कर देख लिया अब सतगुरु केवल तुझसे मिलना बाकी है …इस बुरे वक़्त में हर किसी ने मुझे ठुकराया है मेरे सतगुरु ,अब मैं तेरे दर पर आ बैठा हूँ ,अब केवल तेरी रहमत करना बाकी है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस जीवन में कोई किसी का संगी साथी नहीं है ,सब सुख के साथी हैं दुःख में कुछ अपने साथ रहते भी हैं तो उनके भाव -भंगिमा -शब्द -व्यवहार -आँखें नीचे से ऊपर तक आपको शर्मिंदा कर देती हैं …इसलिए मुझ डूबते हुए की बांह पकड़ मेरे मालिक ,कल को ऐसा ना हो की ये जाने के बाद भी गाली दें …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की तुझसे यही अरदास है मेरे सतगुरु की बस जल्दी से इन दुनियादारी के हर ऋणों से मुक्त कर दे -हर जिम्मेदारी को पूर्ण करवा दे -मेरे इस जन्म और पूर्व जन्मों के जाने अनजाने गुनाहों -गलतियों को बख्श दे मेरे दाता और फिर मेरे सिर को अपने चरणों में स्थान देते हुए मुझे इस आवागमन के चक्र से -इस भवसागर से मुक्ति दिला दे मेरे मालिक …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान