रहने दो
****रहने दो (ग़ज़ल)*****
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मुरझाई मुस्कान रहने दो,
फीका है पकवान रहने दो।
दिल के सौदे तो महंगे है,
सस्ता ही सम्मान रहने दो।
सबकी ही होती अलग राहें,
अब रास्ते सुनसान रहने दो।
अपनी डफली राग है अपना,
मुझको बस नादान रहने दो।
भटका रहता है सदा मानव,
झूठी शौकत शान रहने दो।
खालीपन है खोखले दिल में,
नकली फरमान रहने दो।
मनसीरत मन लालसा छोड़ो,
खाली शमशान रहने दो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)