…..रहने दो
विधाता-छंद
**********
कहीं डंस ले न तनहाई किसी को पास रहने दो,
रहे जो साथ में हरदम उसे तो खास रहने दो।
अगर बढ़ने लगे दूरी दिलों के दरमियां प्यारे,
रहो एक दूसरे के संग मिलन की आस रहने दो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
विधाता-छंद
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कहीं डंस ले न तनहाई किसी को पास रहने दो,
रहे जो साथ में हरदम उसे तो खास रहने दो।
अगर बढ़ने लगे दूरी दिलों के दरमियां प्यारे,
रहो एक दूसरे के संग मिलन की आस रहने दो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव