रस्म ए उल्फत से किनारा
जिस जोश ओ खरोश से थामा था दामन तुम्हारा,
नाउम्मीद और बेजार होकर हमने छोड़ दिया।
बहुत बोझ लग रही थी तुम्हें रस्म ए उल्फत ,
लो ! हमने भी उनसे और तुमसे किनारा कर लिया ।
जिस जोश ओ खरोश से थामा था दामन तुम्हारा,
नाउम्मीद और बेजार होकर हमने छोड़ दिया।
बहुत बोझ लग रही थी तुम्हें रस्म ए उल्फत ,
लो ! हमने भी उनसे और तुमसे किनारा कर लिया ।