रसीले होंठ गुलाबी
**रसीले होंठ गुलाबी**
*******************
ये रसीले होंठ है गुलाबी,
नशीले नैन बहुत शराबी।
ये मौसम प्रेम का आया,
संदेशा यार का लाया,
रूत है प्यारी लाजवाबी।
ये नाजुक होंठ गुलाबी।
ये रेशमी जुल्फें घनेरी,
जैसे रातें हों अंधेरी,
मस्तानी चाल है नवाबी।
ये नाजुक होंठ गुलाबी।
मुखड़ा टुकड़ा दर्पण का,
चमकता चांद पूनम का,
यौवन छाया माहताबी।
ये नाजुक होंठ गुलाबी।
खुदा की रहमत ख़्वाजी,
नहीं कोइ कमी है बाकी,
तेरा हर बोल है हिसाबी,
ये नाजुक होंठ गुलाबी।
मानसीरत बैठा कुंवारा,
तेरे बिना कुछ न गवारा,
मन मे आ गई है खराबी।
ये नाजुक होंठ गुलाबी।
ये रसीले होंठ हैँ गुलाबी,
नशीले नैन बहुत शराबी।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)