रमेशराज के विरोधरस के दोहे
क्रन्दन चीख-पुकार पर दूर-दूर तक मौन
आज जटायू कह रहा ‘सीता मेरी कौन‘?
+रमेशराज
बल पा ख़ूनी शेर का शेर बनें खरगोश
यही शेर ठंडा करे कल को इनका जोश |
+रमेशराज
चीर बढ़ाने के लिए नहीं उठेगा हाथ
दुर्योधन के साथ है अब का दीनानाथ |
+रमेशराज
करता खल की वन्दना, सज्जन को गरियाय
कौरव-कुल का साथ ही अब तो कवि को भाय |
+रमेशराज
अन्जाने भय से ग्रसित रहा निरंतर काँप
लगता आज विपक्ष को सूँघ गया है सांप |
+रमेशराज
लोकतंत्र में लोक की कर दी हालत दीन
पत्रकार बगुला बने, जनता जैसे मीन |
+रमेशराज
एक सुलगते प्रश्न को पूछ रहा है यक्ष
दुबक गया किस लोक में जाकर आज विपक्ष |
+रमेशराज
उत्पीड़न-अन्याय लखि नहीं खौलता रक्त
हम सब होते जा रहे रक्तबीज के भक्त |
+रमेशराज
देव-सरीखे ‘सोच’ की आफत में है जान
छल भोले को पा गया भस्मासुर वरदान |
+रमेशराज
होगी लघु उद्योग पर माना भीषण चोट
रोजगार देगा मगर, कल सबको रोबोट |
+रमेशराज
सदियों से जिसको मिली “ भाट “ नाम से ख्याति
न्यूज़-चैनलों पर दिखे इस युग वही प्रजाति |
+रमेशराज
अब तो अति मजबूत हैं कौरव-दल के हाथ
चक्रब्यूह को मिल गया पत्रकार का साथ |
+रमेशराज
जुटे यज्ञ करने यहाँ कुछ चैनल-अख़बार
बस जनता की दे रहे आहुतियाँ मक्कार |
+रमेशराज
जन-सेवक तेरे लिए लाये दारू-भाँग
इनसे कपड़े-रोटियां ओ जनता मत मांग |
+रमेशराज
अपनी कटती ज़ेब पर ये रहता है मौन
इस गूंगे युग को जुबां बोलो देगा कौन ?
+रमेशराज
सूरदास जैसे नयन हमको हैं बेकार
हम अंधे धृतराष्ट्र हैं , संजय ज्यों अख़बार |
+रमेशराज
शब्द-शक्तियों को किया अब सत्ता ने अंध
सम्प्रदाय की आ रही अब कविता से गंध |
+रमेशराज
धर्म-जाति की सब लिए हाथों में शमशीर
महंगाई से जो लड़े , दिखे न ऐसा वीर |
+रमेशराज
गोरे बन्दर की जगह काले बन्दर आज
इस आज़ादी पर करें कैसे भैया नाज़ |
+रमेशराज
चाल हमारे हाथ पर उसके हाथ रिमोट
गिरनी है अब सांप के मुँह में ही हर गोट |
+रमेशराज
सत्ता के उपहास को जनता जाती भूल
रोज मनाते आ रहे नेता अप्रिल-फूल |
+रमेशराज
दिए सियासी फैसले मुंसिफ ने इस बार
सुबकन-सिसकन से भरे जनता के अधिकार |
+रमेशराज
अब क्या होगा बोलिए शंकर भोलेनाथ
नेताजी को मिल गया पत्रकार का साथ |
+रमेशराज
तूने जो वादे किये मुकर गयी हर बार
राजनीति तेरा बता मुंह है या मलद्वार |
+रमेशराज
गुब्बारों से आलपिन जता रही है प्यार
क्यों न समझ आता तुझे सत्ता का व्यवहार |
+रमेशराज
हुआ आज सद्भाव का ज़हरीला मकरंद
देशभक्त कहने लगा अपने को जयचंद |
+रमेशराज
मीरजाफरों के लिए वक़्त हुआ अनुकूल
इनके हाथों में दिखें देशभक्ति के फूल |
+रमेशराज
पेट्रोल का साथ ले कहता है अंगार
मैं लाऊँगा मुल्क में अमन-चैन इस बार |
+रमेशराज
भक्तो लड्डू बांटिए प्रगट न कीजे खेद
हर नेता की हो गयी काली भैंस सफेद |
+रमेशराज
रक्तसनी तलवार सँग जिनके हैं अब ठाठ
सहनशीलता का हमें सिखा रहे हैं पाठ |
+रमेशराज
देशभक्ति के नाम पर प्रचलन में यह राग
सहनशील अब जल नहीं, सहनशील है आग |
+रमेशराज
हर गर्दन इस दौर में घोषित है गद्दार
सहनशील अब बन गये बस चाकू-तलवार |
+रमेशराज
पत्रकार का हो गया नेता से गठजोड़
दोनों मिलकर देश की बाँहें रहे मरोड़ |
+रमेशराज
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रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ़-202001
Mo.-9634551630