रब की मुझपर मेहर हो गई
रब की मुझपर मेहर हो गई
जिंदगी मेरी बेहतर हो गई
उन्हें देखते रहे भर नजर
शब हुई और सहर हो गई
आ गई वो सँवरकर यहाँ
उन्हीं की तरफ नजर हो गई
जान मेरी चली जाएगी
बेवफा वो अगर हो गई
याद तेरी है दिल में बसी
क्या करें तू बेखबर हो गई
भूल न पाए तुम्हें अब कँवल
जिंदगी तेरी ही नज़र(भेंट) हो गई