रब की मर्ज़ी से बुरा वक़्त बदल जाएगा
रब की मर्ज़ी से बुरा वक़्त बदल जाएगा
होने वाला है अगर हादसा टल जाएगा
सबने सोचा था यही अब न वो लौटेगा पर
किसको मालूम था उस पार निकल जाएगा
आज मिलकर के गले रोए बहुत हैं दिलबर
हमको मालूम था पत्थर ये पिघल जाएगा
पहले नफ़रत को मिटाओ तो दिलों से बेशक़
दिल में जज़्बा ये मुहब्बत का भी पल जाएगा
वक़्त के साथ चलो वक़्त की सदायें सुनकर
वर्ना ये वक़्त तो मुट्ठी से फिसल जाएगा
देखते-देखते होता है कभी ऐसा भी
हार या जीत का उन्वान बदल जाएगा
अपनी उम्मीद के दीपक को बुझाना न कभी
शम्स ढ़लता जो अभी सुबह निकल जाएगा
अज़्म रखना है सदा याद न हिम्मत खोनी
हौसला जिसमें वही गिर के संभल जाएगा
ये ही ‘आनन्द’ हक़ीक़त है सदाक़त है यही
आज आया है जो पक्का है वो कल जाएगा
– डॉ आनन्द किशोर