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29 May 2017 · 1 min read

रब की इनायत

?रब की इनायत?
गम भरी दुनिया में,कितने लोग ऐसे हैं
दर्द दिल का गीत में गाकर जो कहते हैं
मजबूर है कई,न कह पाते हैं दिल का हाल
हम कलमवाले हैं,दिल निकाल लेते हैं|
है शुक्र कि रब की इनायत,है अभी हम पर
वरना कलम लेकर कई,बाजार बैठे हैं|
मिलना है ख़ाक में सब ही को एक दिन
क्यों हुआ गुरूर फिर,किस बात ऐंठे हैं|
हमको नहीं है वास्ता,हमको वफा मिले
बस झलक भर देख के,दिल थाम लेते हैं|
खुद को फरिश्ता मानते,कुछ लोग ऐसे भी
महफिल से इसांनों की,जो बचकर निकलते हैं|
सोने भी दो,जगाओ न हमें नींद से यारो
कुछ गुलाबी ख्वाब इन आँखों में पलते हैं|
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

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