*रद्दी वाली अलमारी (लघुकथा)*
रद्दी वाली अलमारी (लघुकथा)
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नेता जी ने अपनी पहली वाली पार्टी को छोड़कर जब दूसरी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की ,तो उसके हिसाब से अपने कार्यालय में बहुत से फेरबदल किए । रंगाई-पुताई नए ढंग से करवाई । चार महापुरुषों के फोटो कार्यालय में उनकी कुर्सी के पीछे सुशोभित रहते थे । उन सब को हटा कर नेता जी ने चार नए महापुरुषों के फोटो लगाने का निर्देश कर्मचारियों को दिया ।
कर्मचारियों ने नए फोटो लगा दिए । पुराने हटाकर एक बंडल बांध दिया । फिर पूछने लगे “साहब इन पुराने फोटो का क्या करना है ? ”
नेता जी बोले “करना क्या है ! जो चाहे करो । हमारे यहाँ इनका क्या काम है ?”
कर्मचारी फोटो के बंडल उठाकर कार्यालय से बाहर जाने लगे । तभी नेताजी को कुछ याद आया । उन्होंने आवाज दी,
” रुको ! ऐसा करो ,इस बंडल को सँभाल कर रद्दी वाली अलमारी में रख दो ।”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451