रणबीर
कठिनाई पथ की देख,
पथिक, पथ अगर छोड़ दे,
ऊँची लहरों से डरे,
खिवैया, सफर छोड़ दे,
मंजिल कैसे पाये,
चलने से, जो घबराए,
विपरीत हवा से,
लड़े, भिड़े, जूझे, टकराए,
जो पानी बनकर,
चट्टानों पर, असर छोड़ दे,
रणबीर वही,
जो जीत हार की फिकर छोड़ दे ।।
(स्वरचित – मौलिक – सर्वाधिकार सुरक्षित)
विजय प्रताप शाही
गोरखपुर – उत्तर प्रदेश
9935025901 – 6388236360