रजनी कजरारी
चर चर चर चर की ध्वनि
मंद मंद महकती सुगंध
सिली सिली बुदबुदाती समीर
मचलती है रजनी कजरारी,
लहलहाते खेतों की महक
टिमटिमाते सितारों की दमक
लालिमा से नहाया अर्द्ध चंद्रमा
बढ़ाए जाता मीनू की बेकरारी,
निशा की खामोशी ना हो बयां
उजाले संग खेलती विरानियां
धूमिल छवि अंबर की सताए
पूनिया तो अपना सर्वस्व हारी,
शांत, सुगंधित, ऊर्जावान क्षण
सनसनाहट का संगीत गुदगुदाए
धरा ने ओढ़ी चूनर हरियाली की
रजनी कजरारी लगती है प्यारी।