रचना
सुनी सी हैं अब ,
वो गिलिया चला करते थे जीन पर !
कूछ दर्द भरी गज़ल ,
वो हर वक़्त गुन गूनाया करते थे तब !
उनकी आहट से हम ,
नीन्द से यूं जाग जाते थे तब !
उनका नही था कोई नाम ,
पूछा करते थे जब भी उन्हे हम !
वो मुस्कुराते थे बस ,
कहा गये होंगे वो अब !!!!