रचना
जिंदगी
दूर से महकती फूलों की
इक बगिया है जिंदगी..
कभी उलझी, कभी सुलझी
सुंदर नज़ारा है जिंदगी
मधुशाला यूँ ही बदनाम है
हाथों जाम घोलती जिंदगी
नेक रस्ते पर तुम चलते रहो
सफलता की सीढ़ी है जिंदगी
बैर- द्वेष को दूर हटाती है
प्रेम, ज्योत जगाती है जिंदगी
उत्सव, शांति, खुशियाँ मनाएं
मुस्कान लबों पे लाती है जिंदगी
आओ हम सब मिलकर दीप जलायें
खुशियों के पल जीओं है जिंदगी
शीला गहलावत सीरत