रचना
बीते हुए लम्हें
उन लम्हों का क्या जो बीत गये
उन यादों का क्या जो बीत गये
खूबसूरत तराने हमारे पास बहुत हैं
महकते रहने के बहाने पास बहुत हैं
हर शाम जीता हूँ, उन्हीं लम्हों में…
जहाँ महकते पल, उन्हीं खतों में..
टूटकर बिखर जाना कौन सा अच्छा है
बिखर कर सम्भलना, कितना अच्छा है
मंजिल पर चलते रहने के लिए…..
महकते पलों का होना जरूरी…….
हर शाम लेकर जाती, उन्हीं पलों को
फूलों की बगियाँ, महकाती फूलों को
खूबसूरत पलों का खुशबू भरा लम्हा
खूबसूरत हमारे तरानों से भरा लम्हा
खूबसूरत तराने हमारे बहुत हैं…….
महकते रहने के तुम्हारे बहाने बहुत हैं
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़