*रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र (कुंडलिया)*
रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र (कुंडलिया)
🍃🍃🍃🍃🍂🍂🍂
रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र
महिमा श्री गिरिराज की, गाओ प्यारे मित्र
गाओ प्यारे मित्र, कृष्ण की गाथा न्यारी
अभिमानी था इंद्र, ऐंठ सब उसकी हारी
कहते रवि कविराय, गर्व से हर क्षण बचना
सिखलाती आदर्श, बनी गोबर से रचना
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451