Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2024 · 1 min read

*रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र (कुंडलिया)*

रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र (कुंडलिया)
🍃🍃🍃🍃🍂🍂🍂
रचना सुंदर बन रही, घर-घर बनता चित्र
महिमा श्री गिरिराज की, गाओ प्यारे मित्र
गाओ प्यारे मित्र, कृष्ण की गाथा न्यारी
अभिमानी था इंद्र, ऐंठ सब उसकी हारी
कहते रवि कविराय, गर्व से हर क्षण बचना
सिखलाती आदर्श, बनी गोबर से रचना
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
करार दे
करार दे
SHAMA PARVEEN
*चटकू मटकू (बाल कविता)*
*चटकू मटकू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मातृत्व
मातृत्व
साहित्य गौरव
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
******छोटी चिड़ियाँ*******
******छोटी चिड़ियाँ*******
Dr. Vaishali Verma
ଅତିଥି ର ବାସ୍ତବତା
ଅତିଥି ର ବାସ୍ତବତା
Bidyadhar Mantry
इशारा नहीं होता
इशारा नहीं होता
Neelam Sharma
" अंधेरी रातें "
Yogendra Chaturwedi
"तरुवर"
Dr. Kishan tandon kranti
ख़ुद को हमारी नज़रों में तलाशते हैं,
ख़ुद को हमारी नज़रों में तलाशते हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
प्रेम की गहराई
प्रेम की गहराई
Dr Mukesh 'Aseemit'
दीवाल पर लगी हुई घड़ी की टिकटिक की आवाज़ बनके तुम मेरी दिल क
दीवाल पर लगी हुई घड़ी की टिकटिक की आवाज़ बनके तुम मेरी दिल क
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किस-किस को समझाओगे
किस-किस को समझाओगे
शिव प्रताप लोधी
तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो
तुम ऐसे उम्मीद किसी से, कभी नहीं किया करो
gurudeenverma198
ज़िंदगी - एक सवाल
ज़िंदगी - एक सवाल
Shyam Sundar Subramanian
मुक्तक
मुक्तक
Suryakant Dwivedi
पिछले पन्ने भाग 2
पिछले पन्ने भाग 2
Paras Nath Jha
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
*प्रणय*
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
Ravikesh Jha
अब बस हमारे दिल में
अब बस हमारे दिल में
Dr fauzia Naseem shad
छंद घनाक्षरी...
छंद घनाक्षरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3751.💐 *पूर्णिका* 💐
3751.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
सत्य कुमार प्रेमी
सारा खेल पहचान का है
सारा खेल पहचान का है
Sonam Puneet Dubey
आज के रिश्ते: ए
आज के रिश्ते: ए
पूर्वार्थ
* ये शिक्षक *
* ये शिक्षक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिनकर तुम शांत हो
दिनकर तुम शांत हो
भरत कुमार सोलंकी
कोई पूछे मुझसे
कोई पूछे मुझसे
Swami Ganganiya
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
Loading...