रगं तआस्सुब के जो देगी राजधानी हर तरफ़
खूब है मशहूर ये झूठी कहानी हर तरफ़
चाँद पर देखी गई है एक नानी हर तरफ
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सारी दुनिया जानती है क़ीमतें इनकी मगर
क्यों बहाते फिर रहे हैं खून पानी हर तरफ़
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आप क़ायम कर नहीं सकते अगर चैनो अम्न
कैसे कर सकते हैं क़ायम हुक्मरानी हर तरफ़
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उम्र भर मैं प्यार के दो बोल को तरसा मगर
थी बहुत बिखरी हुई शींरी ज़बानी हर तरफ़
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मैं अकेला ही खडा था देश की सरहद पे जब
फोन पर मसरुफ़ था जोशे जवानी हर तरफ़
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चीख उटठेगी किसी दिन ये रियाया देखना
रंग तअस्सुब के जो देगी राजधानी हर तरफ
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ख़्वाबे ग़फ़्लत में पड़ा हूँ एक मुद्दत से मगर
देती है आवाज़ मुझको कामरानी हर तरफ़
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आप मेहमां किसी के खुश गुमानी छोडिये
आप जा कर रहे हैं मेज़बानी हर तरफ
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सालिब चन्दियानवी