#कुंडलिया//पीड़ा
पीड़ा परजन भूल कर , गाते अपने गीत।
औरों की हो हार भी , अपनी हो पर जीत।।
अपनी हो पर जीत , स्वार्थ की है ये दुनिया।
खुद पर करती नाज़ , और की खोज़े कमियाँ।
सुन प्रीतम की बात , भेद का रख मत कीड़ा।
जैसा खुद का दर्द , सभी की वैसी पीड़ा।
#आर.एस. ‘प्रीतम’