*रखता है हर बार कृष्ण मनमोहन मेरी लाज (भक्ति गीत)*
रखता है हर बार कृष्ण मनमोहन मेरी लाज (भक्ति गीत)
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रखता है हर बार कृष्ण मनमोहन मेरी लाज
1
उसे पता है उचित सफलता है या मुझे विफलता
बागडोर जीवन की हाथों में थामें वह चलता
मैं क्या जानूॅं धन अच्छा है, या निर्धनता आज
2
सौ-सौ गलती जीवन-पथ पर करता हूॅं रोजाना
कुछ का पता चल गया, कुछ को कभी नहीं पहचाना
वह शायद दे मुझे दंड, या दे धरती का राज
3
कभी लगाते ध्यान, एक पल में ही दौड़ा जाता
कभी झलक वह किसी रूप में अपनी नहीं दिखाता
सब उसकी माया है उसका सब अद्भुत अंदाज
4
कभी सोचता हूॅं यह भी, क्या जन्म व्यर्थ जाएगा
क्या नौका फिर एक बार, वह जल में डुबवाएगा
आ जाए वह शायद लेकर, उड़ता हुआ जहाज
रखता है हर बार कृष्ण मनमोहन मेरी लाज
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451