रक्षाबंधन
‘रक्षाबंधन’
(1)
रक्षाबंधन प्रीति का, है पावन त्योहार।
धागा रक्षा सूत्र है, कीमत इसकी प्यार।।
(2)
राखी नाना रंग की, सजे-धजे बाज़ार।
धागों में गूँथा मिले , सुंदर नेह अपार।।
(3)
आई बहना दूर से ,लेकर नेह अपार।
धन-दौलत माँगे नहीं, चाहे बस सत्कार।।
(4)
रोली, अक्षत तिलक कर, राखी बाँधे हाथ।
भगिनी माँगे ईश से, बना रहे ये साथ।।
(5)
भ्राता रक्षा वचन भर, देता है उपहार।
बना रहे संबंध ये, जब तक है संसार।।
(6)
भाई सरहद पर खड़े, रखे हथेली जान।
राखी उनको बाँधकर, बहन बढ़ाएँ मान।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र)