रक्षाबंधन
कबीर छन्द/सरसी छन्द(16-11)
सावन में चहुँ ओर दिखे हरि,
प्रेम मिलन की रीति।
वैदिक संस्कारों में ऊँची ,
भाई बहन की प्रीति।
भाई छुए बहन के चरना,
चरित्र से होते वीर।
अपनी भगिनी की रक्षा हेतू,
दुश्मन को देते चीर।
रक्षा याद दिलाने वाला,
रक्षाबन्ध का पर्व।
राखी बाँध करती हर बहना,
भाई पर ही गर्व।
भाई धन्य जो रक्षा करते,
सीमा पर दिन रात।
हर बहना की लाज बचाते,
कड़ी धूप बरसात।
रेशम के धागों की कीमत,
सारे जग में ऊँच।
राखी का है मूल्य कितना,
भ्रातृ बहन से पूछ।
पर बेटी बचाओ शोर में,
लुटती तनया रोज।
राखी दहशत में खड़ी पड़ी,
सिसके भैया दोज।
त्योहार मर्यादा बताते,
देते प्रेम संदेश।
स्नेह मानवता अमर रहे,
हो चाहे कोई भेष।।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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