*”रक्षाबंधन”*
“रक्षाबंधन”
रक्षाबंधन राखी का पवित्र त्यौहार।
रिश्तों की डोरी में बंधा हुआ ,ये सारा जग संसार।
भाई बहनों के अटूट श्रद्धा ,विश्वास का है भंडार।
बचपन के वो अल्हड़ दिनों की लम्हें यादगार।
सहेजकर जीवन की ये संभाली बागडोर।
कुछ खोया कुछ पाया वो नादानी जीवन के आधार।
बहला फुसला कर यूँ ही मन को उम्र हो पचास के पार।
कोशिशें की हुए नाकामयाब ,जीते जी फिर भी हजार बार।
मैं जानती पहचानती हूँ फिर भी नादान हूँ ,
लौटकर ना आयेंगे वो दिन वो बचपन के बार बार।
चाहे दुआ कबूल हो या सजा सुनाई दे ,
मेरी विनती कर लो स्वीकार।
खुशियाँ मिले यूँ ही भैया को ,ये बहना का सपना हो साकार।
जीवन में सच्चा सुख मिलता ,जब आये राखी का त्यौहार।
हो सभी की कामना पूर्ण ,रक्षाबंधन पर्व ये दिन यादगार।
चंदन का तिलक लगा ,रेशम की डोरी बंधे कलाई पर साल में एक बार।
भाई बहनों की उम्मीदों पे टिका हुआ प्रेमबन्धन का त्यौहार।
शशिकला व्यास ✍️