रक्षक हैं ये जवान
झूठ का पर्दा हटा आँख से सच्चाई को देखो तुम
कश्मीरवासियों वीर जवानों पर मत पत्थर फेंको तुम
याद करो जब बाढ़ की जद में फँसा हुआ कश्मीर था
बालक,महिला,वृद्ध सभी की आँख समाया नीर था
चहुँदिश फैली अंधकार की काली घनी सियाही थी
घर-आँगन सब डूब रहे थे चारों ओर तबाही थी
क्रूर काल ने व्यूह बनाकर जब कश्मीर को घेर लिया
संकट में अलगाववादियों ने अपना मुख फेर लिया
जिसके गुण गाते रहते हो वो बेइमान नहीं आया
हाथ पकड़कर तुम्हें बचाने पाकिस्तान नहीं आया
कायरता और गद्दारी थी लहू के कतरे-कतरे में
जेहादी सब उड़न छू हुए छोड़ के तुमको खतरे में
देर नहीं की पल भर भी तब देश के वीर जवानों ने
जान की बाजी लगायी थी तब भारत माँ के दिवानो ने
हिन्दू था न मुस्लिम था और न ही सिक्ख इसाई था
जिसने मौत से तुम्हें बचाया यही तुम्हारा भाई था
पर्वत और पानी की चोट को सीने पर खुद झेल गया
तुम्हें बचाने की खातिर वो अपनी जान पे खेल गया
याद करो उस फौजी को जिसे भारत माँ ने भेजा था
तुम्हें सुरक्षित करने को बच्चों के जैसे सहेजा था
मौत की आँख में डाल दी आँखें देखे जग हैरानी से
वही बचा लाया था तुम्हारे जिगर का टुकड़ा पानी से
ईमान बिका कुछ पैसों में फिर कैसे भला शर्मिन्दा हो
उन पर ही पत्थर बरसाया जिनके दम पर जिन्दा हो
आतंक और अलगाववादियों के झाँसे में काम किया
एक बार फिर से तुमने मजहब को ही बदनाम किया
सेना ने हटा ली सुरक्षा तो फिर मारे काटे जाओगे
सबको काफ़िर कहते हो फिर खुद काफ़िर कहलाओगे
इसीलिए कहता है ‘संजय’ कुछ तो अपना ध्यान धरो
रक्षक हैं ये जवान तुम्हारे इनका तुम सम्मान करो