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31 Jul 2023 · 1 min read

रक्तदान

रक्तदान

“सर, प्रमोद जी आए हैं रक्तदान करने।” कंपाउंडर ने कहा।
“कौन प्रमोद जी ?” डॉक्टर साहब ने पूछा।
“सर, ये हर साल यहाँ दो बार रक्तदान करने आते हैं।” कंपाउंडर ने बताया।
“ठीक है। भेजो उन्हें।” डॉक्टर ने कहा।
“नमस्ते सर। मैं प्रमोद हूँ। इसी गाँव में रहता हूँ। स्वस्थ आदमी हूँ। लगातार रक्तदान करता रहता हूँ। आज भी इसीलिए आया हूँ।” प्रमोद ने हाथ जोड़कर कहा।
“नमस्कार प्रमोद जी। कंपाउंडर ने मुझे आपके बारे में बता दिया है। अच्छी बात प्रमोद जी। मैंने सुना है कि आप हर साल दो बार रक्तदान करते हैं। कोई खास वजह ? डॉक्टर साहब ने यूँ ही पूछ लिया।
“डॉक्टर साहब, सामान्यतः लोग अपने पसंदीदा बड़े-बड़े नेताओं, अभिनेताओं के जन्मदिन पर रक्तदान करते हैं, पर मैं अपने पिताजी और माताजी, जिनकी बदौलत मैं इस दुनिया में आया हूँ, उनके जन्मदिन पर साल में दो बार रक्तदान करता हूँ। संयोगवश दोनों के जन्मदिन में छह माह का अंतराल है। इससे मेरे रक्तदान में कोई अड़चन नहीं है।” प्रमोद ने कहा।
“वाह ! क्या नेक विचार हैं। काश ! सभी आपकी तरह सोचते।” प्रमोद जी के हाथ में सूई चुभाते हुए डॉक्टर साहब ने कहा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

Language: Hindi
229 Views
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