रक्तदान
मच्छरों के भोजन में व्यवधान करते हैं
बिना मन के भी हम रक्तदान करते हैं
चूस लेता है खून हमारा
मच्छर जैसा जीव
हम उसे नहीं मारेंगे
जैसे उसको है बिलीव
गाँव में रहते हैं ये काम महान करते हैं
बिना मन के भी हम रक्तदान करते हैं
पोखरे में जब भी गए नहाने
तब -तब पकड़ी जोक
खून बल भर चूस रही थी
हम सांग सुनाते फोक
हम खून का कितना सटीक बलिदान करते हैं
बिना मन के भी हम रक्तदान करते हैं
बरसात के मौसम में पशुप्रेमी डंस
लगाता है जब घात
कठिन प्रहार हस्त का होता
दिन में दिखती रात
फिर डंस बलि का छोटा सा अनुष्ठान करते हैं
बिना मन के भी हम रक्तदान करते हैं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी