बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
नाम बदलने का था शौक इतना कि गधे का नाम बब्बर शेर रख दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
वक़्त आने पर, बेमुरव्वत निकले,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
बोलो क्या कहना है बोलो !!
अच्छी-अच्छी बातें (बाल कविता)
कितना अच्छा है मुस्कुराते हुए चले जाना