सच्ची मोहब्बत नहीं अब जमीं पर
डॉ अरुण कुमार शास्त्री /एक अबोध बालक
संवाद और समय रिश्ते को जिंदा रखते हैं ।
बुद्धि
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
मुझे ज़िंदगी में उन लफ्जों ने मारा जिसमें मैं रत था।
हमारे तुम्हारे चाहत में, बस यही फर्क है।
*कंठ मधुर होता है तो, हर गाना प्यारा लगता है (मुक्तक)*
आपणौ धुम्बड़िया❤️
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
के उसे चांद उगाने की ख़्वाहिश थी जमीं पर,
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।