रंजिश
रंजिश मत रखिए कभी, आपस में ऐ मीत।
जबतक धड़कन जान है, करते रहिए प्रीत।
करते रहिए प्रीत, सदा सुखमय जीवन हो।
दूर रहेगा रोग, निरोग सदा तन-मन हो।
कहें ‘सूर्य’ कविराय, इश्क कब माने बंदिश।
इश्क मुहब्बत प्यार, करो, मत करना रंजिश।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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