रंजिशें
रंजिशें
राह में तो फूल थे,
कई खिले हुए,
वो थे रंजिशों के मारे,
जहर चुने हुए।
खामोशियों के दौर ने ,
हुनर क्या दे दिया,
कहा भी ना था मैंने ,
थे वो सुने हुए।
अजय अमिताभ सुमन
रंजिशें
राह में तो फूल थे,
कई खिले हुए,
वो थे रंजिशों के मारे,
जहर चुने हुए।
खामोशियों के दौर ने ,
हुनर क्या दे दिया,
कहा भी ना था मैंने ,
थे वो सुने हुए।
अजय अमिताभ सुमन