रंग हरा सावन का
रंग हरा सावन का,
सर्वत्र हरीतिमा छाई है,
नव-पत्र से छादित हैं तरुवर,
तृण-हरित धरा की तरुणाई है;
तरुणी हरे रंग में रमी हुई,
नव वस्त्रों में सजी हुई,
लगा बालों में गजरे,
बागों में झूलों पर जमी हुई;
बिंदी-चूड़ी-मेंहदी-जूड़ा,
सौभाग्य का सूचक रंग हरा,
तीज-त्योहार होते शुरु,
लोगों में उत्साह भरा;
सावन में बेलपत्र हरा
महादेव को लगता प्यारा,
मदार-भाँग-धतूरा
उनका भोजन न्यारा,
सावन माह नवसृजन का ,
धरती का कण-कण हरा-हरा,
कर दें जल-संरक्षण शुरु,
तब सालों भर हो हरा-भरा।
मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण ‘श्रीपद्’
बेगूसराय (बिहार)