रंग सुनहरे फ़ागुन के
यह रंग सुनहरे फ़ागुन के ।
यादों सँग मन भावन से।
टेसू महके मन आँगन के ।
फूली सरसों चित्त नैनन से ।
साथ खड़ी हो सजनी जैसे ,
रंग रंगीले सजीले साजन के ।
श्रृंगारित धरा यौवन तन से ,
रस बरसे धरा अंग अंग से ।
मादक सुगन्ध बयार चली ,
सजनी साजन द्वार चली ।
कोयल कूकी बागों में ,
बौर आई अब आमों में ।
अन्नपूर्णा अवतरित धरा पे ,
प्रकट हुई फसलों में आ के ।
यह रंग सुनहरे फ़ागुन के ।
यादों सँग मन भावन से ।
…. विवेक दुबे”निश्चल”@..