रंग सारे छोडकर ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
रंग सारे छोडकर , हम हंस हो गये ।
रंग सारे ग्रहण कर तुम श्याम हो गये ।।
आयीं भले ही ऑधियॉ,आयीं रुकावटे ।
विचलित न हो कर हम तो रहे डँटे ।
भाव के आकाश में गतिमान हो गये ।
हम प्रेम – पंख के बल अविराम हो गये।।
श्रद्धा के माथे पर चंदन लगा दिया ।
हमने अपना अंतस दर्पन बना दिया ।
आकर मेरे समीप तुम दिनमान हो गये ।
हमको देकर दर्शन , अभिराम हो गये ।।
— जितेंद्र कमल आनंद , रामपुर।(उ प्र )
दिनांक ३०-४-१७