रंग सांवला लिए फिरते हो
रंग सांवला लिए फिरते हो
क्यों कान्हा को टक्कर दिए फिरते हो
तुम शाम रंग में रंगे हो तो क्या
फिर भी दिल मतवाला लिए फिरते हो
बाहर गलियारों में अंधेरा हुआ तो क्या
दिल में तो उजाला लिए फिरते हो
रंग सांवला लिए फिरते हो
क्यों कान्हा को टक्कर दिए फिरते हो
तुम शाम रंग में रंगे हो तो क्या
फिर भी दिल मतवाला लिए फिरते हो
बाहर गलियारों में अंधेरा हुआ तो क्या
दिल में तो उजाला लिए फिरते हो