रंग विरंगी नाँव
बारिश का आनंद लेकर
चाट पकोड़ी घर बनवाते
छुट्टी के दिन ऊधम मचाते
नानी दादी को ख़ूब सताते
रंग बिरंगे कागज़ की
सुंदर -२ नाँव बनाते
जल के तेज बहाव में
नाँव की रेस लगवाते
तट छोड़ मझधार चली
हम बच्चों को ख़ूब सताती
कभी उठती कभी डूबती
अपनी गति से बढ़ती जाती
हर शहर हर गाँव को जाती
सभी बच्चों को ख़ूब लुभाती