रंग रंगीला फागुन
रंग रंगीला फागुन बहारें ले कर आ गया।
संतरगी रंगों की फुहारें ले कर आ गया।
न करना बरजोरी सुन ओ सांवरे कन्हैया
कहीं मुड़ न जाए प्यारी राधे की कलइयां
राधा संग कान्हा की तकरारें लेकर आ गया
संतरगी रंगों की फुहारें ले कर आ गया।
आया मौसम मस्त मगन एक दूजे को मनाने का
रूठे और कुछ खफ़ा-खफ़ा मनमीतों को रिझाने का
अपनों के संग मीठी मनुहारें लेकर आ गया
संतरगी रंगों की फुहारें ले कर आ गया।
भूलो बैर को धो डालो सब अपने मन के मैल को
तन और मन को रंग डालो स्नेह के इस खेल में
फाग के गीतों की झनकारें ले कर आ गया।
संतरगी रंगों की फुहारें ले कर आ गया।
रंग रंगीला फागुन बहारें ले कर आ गया।
संतरगी रंगों की फुहारें ले कर आ गया।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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