रंग बदलते आप
नेता गिरगिट के समान ,रंग बदलते आप।
अपने वोट के खातिर ,कहे पुण्य को पाप।
प्यारे भारत देश का, करते तुम ना मान
जब देखो बस लगत हो, करने को बदनाम।
एक दुजे पर छोड़ते तुम शब्दों के तीर
मर्यादा को भूलकर, लड़ने में तुम वीर।
निर्वाचन के क्षेत्र में, होते हो जब फेल
सत्ता बचाने के लिए, करते दुश्मन मेल।
वादे लोक लुभावने, करता हैं हर बार
ओह जनता के सेवक, तेरा न कोई पार।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’