रंग की वर्षा
रंग की वर्षा अनंग करे,
ऋतुराज उमंग भरे तन-मन में।
गाल गुलाल से लाल रहे,
नित फाग का राग रहे जीवन में।।
द्वेष कपट कुविचार जले,
मधुमास का वास हो मन-उपवन में।
राधा व श्याम का हास-विलास,
निवास करे हर घर-आँगन में।।
✍️ शैलेन्द्र ‘असीम’