रंगों का त्योहार होली
होली की खुमारी में, सब खूब मस्ती करते है।
रंगों से भरी पिचकारी, हाथों में लिए फिरते है।
दौड़ते भागते गीले होते, एक दूसरे को रंगते है।
पहनकर बिरंगे कपड़े, मस्ती में गाते झूमते है।
भेदभाव सब भुलाके, एक-दूजे के गले लगते है।
मुट्ठी में गुलाल भरके, उसे आसमान में उड़ाते है।
यारों की टोली, गली-गली में धूम मचाती है।
भाईचारे का भाव ले, खुशी के रंग बिखेरती है।
घर घर जाकर के, लोग रंग भी ऐसा लगाते है।
कि आईने में खुद को ही, पहचान नहीं पाते है।
घरों से गुब्बारे फेंककर, एक दूसरे को भिगोते है।
होली त्योहार के दिन, बच्चे खूब हुड़दंग करते है।
रंग रंगीन चेहरे ये सबके, दिखते बड़े निराले है।
रंगों से सराबोर हो करके, सब संग में नाचते है।
रंगों की फुहारों से, सारे गम भी धुल जाते है।
होली का त्योहार ये, सब हंसी खुशी मनाते है।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार