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16 Jul 2021 · 1 min read

रंगे सियार रहल घाघ सभै

पइसा भी गइल परधानी मा
अर इज्जत भी गइल पानी मा

रंगे सियार रहल घाघ सभै
इहि राजेनीति कहानी मा

अपरे ही विकास करल नेता
रंग चढ़े का चुनर धानी मा

जो बरबाद हुए चाही वहि
चोर बने इस रजधानी मा

नेतागिरि अइसन छोरी बा
नास करल अपने जवानी मा

•••

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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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