रंगीला फागुन आ गयो
रंगीला फागुन आ गयो,
री सखी! फागुन आ गयो;
मोरा जिया रा यूँ हरसा गयो…
री सखी! फागुन आ गयो।
चलै है बयार घुली-घुली जाए रंग जू,
चलूँ सूँ मटकती चाल पिया संग जू;
मोहे मन मा हुलास आ गयो।
री सखी! फागुन आ गयो………..
लद-कद टेसू बगिया म्हारी,
आओ री नाचै हिल-मिल सारी;
मोहे फागुन मनवा भा गयो।
री सखी! फागुन आ गयो……….
अमुआ की डलिया जाई रे बौराए,
फाग उमाह सर चढ़ता जाए;
म्हारो देवर गुलाल लगा गयो।
री सखी! फागुन आ गयो………
गेहूँ की बालियाँ हुई रै सुनहरी,
चढै़ रै सूरजवा भरी रै दुपहरी;
अरै मौसमवा पलटी खा गयो।
री सखी! फागुन आ गयो…..
रंगीला फागुन आ गयो,
री सखी! फागुन आ गयो।
सोनू हंस