रंगरेज कन्हैया लाल
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/ रंगरेज कन्हैया/
रज रज रमे रमेश हैं, रंगे राधिका रंग।
श्याम वर्ण के श्यामजी, राधा गोरे अंग।
होली के बहुरंग में, खिला हुआ हर अंग।
गोरी राधा हुईं श्यामला, श्याम रहे बेरंग।।
श्याम रंग वो रंग है, चढ़े ना दूजा रंग।
रंग नहीं चढ़ता कोई, श्याम सदा बेरंग।।
जा पर आये श्याम की, भक्ति प्रेम का रंग।
ऐसा रंगता आत्म भी, साधे मनस तुरंग।।
राधेश्याम के रंग में, भोले नाचत सङ्ग।
गोप ग्वाल के भेष में, बजा बजा मिरदंग।।
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